क्या कोई सिग्रेट व शराब नशे आदि का व्यापार करने वाला पिता ये चाहता है कि उसके मासूम बच्चे नशे के विनाशकारी कुचक्र में फंसकर, अपना जीवन व जवानी बर्बाद करें।
दिनांक 28-Nov-2018 को प्रकाशित । श्रेणी/श्रेणियां दैनिक विचार
० टिप्पणी

क्या कोई सिग्रेट व शराब नशे आदि का व्यापार करने वाला पिता ये चाहता है कि उसके मासूम बच्चे नशे के विनाशकारी कुचक्र में फंसकर, अपना जीवन व जवानी बर्बाद करें।
अभय- सब प्रकार से हम अभय हो निर्भय हो | अभय-निर्भय वो ही रह सकता है जो जीवन को पवित्रता पूर्वक जीता है |
जब तक जीवन में समर्थ गुरु नहीं मिलता तब तक सही समझ नहीं होती और सही समझ नहीं होने पर व्यक्ति कभी सुखी नहीं हो सकता|
योग हमारे भौतिक एवं भावनात्मक अस्तित्व व व्यक्तित्व को संवारने तथा वामन से विराट होने की साधना है।
स्वदेशी भाषा, वेशभूषा, भेषज, भजन- यह मात्र भावना या स्वार्थ पर टिका हुआ दर्शन नहीं, अपितु व्यष्टि, समष्टि व राष्ट्र के सर्वांगीण गौरवशाली विकास एवं समृद्धि का मूल है। यह समग्र, स्थायी, अहिंसक व न्यायपूर्ण विकास या समृद्धि का दर्शन है।
हर दिन प्रातः ब्रह्ममुहूर्त में उठते ही ये विचार व चिंतन करें कि मैं मूलतः ईश्वर की संतान, ऋषि-ऋषिकाओं, वीर-वीरांगनाओंकी संतान या भारत माता की संतान हूँ।